लेखनी कविता - बैड वाले - बालस्वरूप राही
बैड वाले / बालस्वरूप राही
बैड बजाने वाले आए,
तरह तरह के बाजे लाए।
ठाठ-बाट इनके क्या कहते,
रंग-बिरंगे वर्दी पहने,
बने-ठने ये सजे-सजाए,
बैड बजाने वाले आए।
मीठी ताने कभी सुनाते,
कभी ढमाढम ढ़ोल बजाते,
भारी भरकम बैंड उठाए,
बैड बजाने वाले आए।